Friday 8 June 2018

गजल

आबै छी तँ फेरि जाउ नै
मानै  छी  बात जनाउ नै

हमरालें की की केलौं से
आंगुर   पर    गनाउ   नै

हरेक पल  केँ मोल छै
नेहोरा अछि लजाउ नै

जाति अपन भिन अछि
बात  ई  बीचमे लाउ  नै

ल' लेत जान इन्तिहान
बेर - बेर  अजमाउ  नै
           - विजय कुमार ठाकुर

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