दुख कहियौ ककरा कान कहाँ छै
एहि पाथर में भगवान कहाँ छै
अछि डेग-डेग पर रावण ठाढ
आब राम आ धनुष बान कहाँ छै
सबके घराड़ी पर छै कोठे-कोठा
मुदा ककरो आब दलान कहाँ छै
निज के सब सँ पैघ बुझैत अछि
ओहि लोक के कहु सम्मान कहाँ छै
हम त मरि गेलौं कोना तोँ जिन्दा छेँ
ओ कहलक जीयै छी, जान कहाँ छै
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